Friday, 10 September 2010

Prathana

प्रभु तुमसे मिलने का मन करता है


इस अनन्त संसार में, अपना दिखे ना कोय

अपनेपन को पाने हेतु, प्रभु तुमसे मिलने का मन करता है।

अनेक दिशायें दिखाईं देती, सत्य जाने भाग्यशाली कोय...

सत्य मार्ग पता करने को, प्रभु तुमसे मिलने का मन करता है।

...परिवार यात्रा पर्यटन यात्रा, संसार यात्रा छोङी ना कोय

अब आखिरी यात्रा करने के लिये, प्रभु तुमसे मिलने का मन करता है।

तर्को वितर्को के तीरो ने, मेरा सीना विदीर्ण कर डाला है

अब सत्य के मरहम लगाने को, प्रभु तुमसे मिलने का मन करता है।

यह विरह अब सही नहीं जाती, तुम तक रस्ता दिखाई पङता नहीं

अज्ञान की जंजीरे तोङ कर, प्रभु तुमसे मिलने का मन करता है।

अब तो दरश दे दो प्रभुवर,

अब तो मुझे शरण दे दो प्रभुवरतुम्हारे चरणो मे रहने, प्रभु तुमसे मिलने का मन करता है।।

हे वीर प्रभू। हे चौबीसो जिनअनन्त काल के पाप लिये, ये पथिक तुम नाम तक पहुंचा है

अबअब महायात्रा जो तुमने बतायी, उस पर चलने का मन करता है

तुम आशिर्वाद पाने को, प्रभु तुमसे मिलने का मन करता है

jai nakoda bhairav

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