हे नकोड़ा भैरु , मेरी अरज सुन लेना,
दया के सागर, मेरी खाली गागर को भर देना,
मेरी अरज सुन लेना !
मैं हू अधमी , मैं मूढ़ पापी, मैं तो हूँ बेसहारा,
ऐसी ज्योति जगा दो ज्ञान की, मिट जाए अंधियारा,
मेरी नैया डोले भंवर मे, जानू ना मैं खैना ,
दुनिया तो है भूल-भुलैया, जानू डगर ना मैं तेरी,
कैसे कटेगी, तू ही बता दे, जन्म मरण की ये फेरी,
मैं हूँ भिखारी, तेरा पुजारी ! शरण चरण की देना ||
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