Wednesday, 23 June 2010

jai nakoda ji

हे नकोड़ा भैरु , मेरी अरज सुन लेना,
दया के सागर, मेरी खाली गागर को भर देना,
मेरी अरज सुन लेना !

मैं हू अधमी , मैं मूढ़ पापी, मैं तो हूँ बेसहारा,
ऐसी ज्योति जगा दो ज्ञान की, मिट जाए अंधियारा,
मेरी नैया डोले भंवर मे, जानू ना मैं खैना ,

दुनिया तो है भूल-भुलैया, जानू डगर ना मैं तेरी,
कैसे कटेगी, तू ही बता दे, जन्म मरण की ये फेरी,
मैं हूँ भिखारी, तेरा पुजारी ! शरण चरण की देना ||

No comments:

Post a Comment